अपना देश


अच्छा है दिल के पास रहे पासबान-ए-अक्ल, लेकिन कभी-कभी इसे तनहा भी छोड़ दें-
 इस शेर के बिल्कुल उलट अपने देश और इसकी व्यवस्था को कभी-कभी पासबान-ए-अक्ल दरकार हो तो अच्छा है। अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत दुनिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली देश होने जा रहा है। जब दुनिया की आर्थिक ताकतों की कमर टूट गई है, तब हमारा बाजार वापस बीस हजारी हुआ है। उनकी विकास दर अगर नकारात्मक नहीं है तो वही गनीमत है। हमारी विकास दर दो अंकों के करीब है। 

यह यौवन अभी दो-तीन दशक तक रहेगा और हम निश्चित रूप से दुनिया की शक्तियों की अगली पंक्ति में होंगे। पर वह तभी हो पाएगा, जब देश अपनी मूलभूत चुनौतियों से लड़ पाएगा। अभी महाशक्ति का दंभ भरना मधुर लगता हो, पर आगे कई कड़वे सच मुंह बाए खड़े हैं। राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में जिस तरह की लफ्फाजी, बेईमानी और निकृष्टता का प्रदर्शन हुआ है, उससे हमारी साख को बड़ा बट्टा ही लगा है। बार-बार चीन से बेहतर होने की बात कर हमने अपने आपको बदतर बना लिया। भ्रष्टाचार सिर्फ इस आयोजन की पहचान नहीं है। देश की हर योजना, परियोजना इस रोग से ग्रस्त है और इसे खत्म करने की कसमें कई दशकों से खाई जा रही हैं। 

तीन महीने से ज्यादा हो गए पर कश्मीर पर कोई नीति तो दूर, उसके संकेत भी बमुश्किल दिख रहे हैं। देश का एक बड़ा हिस्सा नक्सलियों के कब्जे में है। हम न बातचीत के रास्ते पर आगे बढ़े हैं और न ही बलप्रयोग से कुछ हो पाया है। भुखमरी का कलंक हमारे माथे पर से मिटा नहीं और सड़ते अनाज पर सरकार का विचार सुप्रीम कोर्ट तक को मालूम हो गया है।
सपने सोते में भले आएं, पूरे तो जाग कर ही करने पड़ते हैं। अगर ये दशकों पुराने मुद्दे यूं ही लटकते रहे तो हमारा सपना अधूरा रह सकता है और भारत वह जोखिम नहीं उठा सकता।

Comments

  1. EK HI ULLU KAFI THA;
    BARBAD E GULISTA KARNE KO !
    HAR SHAKH PE ULLU BAITHA HAI;
    ANZAM E GULISTA KYA HOGA ?

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